Powered By Blogger

सोमवार, 16 अप्रैल 2012

dam -kavita

दम
------
उदासी और निराशा भर
साथी होते तो टूट जाता मै
ये आशाओं के पंख भी
क्या कमाल के है
इन्होंने हार नहीं मानी
उड़ना सीखा है
बस लड़ना सीखा है
दम से ,
फिर चाहे हार ही
हाथों मे क्यूँ न हो ,
संघर्षों से
मिल जाती है
संतुस्टी--------------------------अनुराग चंदेरी  

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें