बुझा -बुझा
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फूल
पूजा
आरती
चरणस्पर्श
आग्रह
क्या क्या नहीं किया
लेकिन
बारम्बार
क्रोध
भय
नफरत
बिछोह
दुराग्रह
क्यों
मिटा देता है
मेरे सपने
और रह जाता है
शेष
ये मन बुझा - बुझा
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अनुराग चंदेरी
आशा बनी रहे ...
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें आपको !
धन्यवाद श्रीमान
हटाएंआशा है आप आगे भी सुझाव, सलाह और चिंता तथा विशेष आपका प्यार देते रहेंगे . अनुराग चंदेरी
वर्ड वेरिफिकेशन हटा दें, इससे कोई फायदा नहीं बल्कि टिप्पणी कर्ता को बेवजह समय बर्वाद करना पड़ता है ! शुभकामनायें ...
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