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शनिवार, 7 अप्रैल 2012

बुझा -बुझा
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फूल
पूजा
आरती
चरणस्पर्श
आग्रह
क्या क्या नहीं किया
लेकिन
बारम्बार
क्रोध
भय
नफरत
बिछोह
दुराग्रह
क्यों
मिटा  देता है
मेरे सपने
और रह जाता है
शेष
ये मन बुझा - बुझा
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अनुराग चंदेरी

3 टिप्‍पणियां:

  1. आशा बनी रहे ...
    शुभकामनायें आपको !

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. धन्यवाद श्रीमान
      आशा है आप आगे भी सुझाव, सलाह और चिंता तथा विशेष आपका प्यार देते रहेंगे . अनुराग चंदेरी

      हटाएं
  2. वर्ड वेरिफिकेशन हटा दें, इससे कोई फायदा नहीं बल्कि टिप्पणी कर्ता को बेवजह समय बर्वाद करना पड़ता है ! शुभकामनायें ...

    जवाब देंहटाएं