Powered By Blogger

रविवार, 22 अप्रैल 2012

आईने

वक़्त के आईने 

में खुद को नहीं देखा 

इसलिए सब का
बुरा मानते रहे -------------
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
अनुराग  चंदेरी 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें