सूरज
---------------------------------
सूरज
स्वर्ण बिखेरता
आँगन मै
हर रोज़ आ जाता है
और आलसी मनुष्य
बिस्तर मै दुवका
पड़ा रहता सोचता है
की अभी तो
उठने मै काफी देर है
ऑफिस जाने के लिए तो
दो घंटे शेष है .
अनुराग चंदेरी
-----------------------------------------------------------------
मेरे आलसी दोस्तों को समर्पित यह कविता
-----------------------------------------------------------------------
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें