प्यार
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तुमने न जाना
मेने महशूस
किया है जीवन के
बंधन में
ये गहरा बंधन
निर्मित किया है
जो जुड़ कर
अब टूट नहीं सकता
इसे मैने निर्मित किया है
मेरे मोह से
यह जानते हुए
की तुमने
उतना गंभीर होकर
नहीं सोचा है
तभी तो तुम मेरी गंभीरता
में मजाक खोजते हो
मेरे हास्य से
तुम्हे कोई
लगाव नहीं
तुम सिर्फ बे ही बाते
कर पाते हो जो जुड़ीं है
तुम्हारे व्यब्सायों से
तुम्हारे मन
में नहीं उठे है
बे सागर जो
दो बूँद भी
ला पाते आंसूं ,
लेकिन तुम जानो
ये जरूरी तो नहीं,
तुम्हारे मन में
जो सपने हैं
उनके दायरे भी
निर्मित हैं ,
तुमने कैद भी किया है
सपनों को
ये भी अब डरते है
मुक्त प्यार की
अभिव्यक्ति से
तुम्हारे सपने भी देख लेते है
धर्म के द्वार
उम्र के गलियारे
समाज की वर्जनाएं
और परिवार की मर्यादाएं ,
इसलिए तुम दूर जाते हो
निकट आते हुए भी ,
मै जान गया हूँ की
निकट आना तुम्हारा
दूर जाने का ही एक
कदम है
दिशाएं अर्थ हीन
हो जातीं हैं
जब बे निर्देशित हों
निश्चित सूत्रों से
,मै तुम्हारे
भय के सूत्रों को
जान कर पीछे भी
नहीं जा सकता
मैने मुड़ना नहीं सीखा
तुमने
आगे आना नहीं सीखा ,
फिर भी रहेगा शेष
बस प्यार
,जो निधि है मेरी
अमूल्य
----------------------अनुराग चंदेरी
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