चुप-चाप
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चुपचाप चुपचाप
झरने का स्वर
हम में भर जाए
चुपचाप चुपचाप
शरद की चांदनी
झील की लहरों पर तिर जाए
चुपचाप चुपचाप
जीवन का रहस्य
जो कहा न जाये , हमारी
ठहरी आँखों मे
गहराए
चुपचाप चुपचाप
हम पुलकित विराट में डूबें
पर विराट हम में मिल जाए
चुपचाप चुपचाप
-----------------------------------------------अज्ञेय
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