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बुधवार, 11 अप्रैल 2012

पुस्तकों की दुकान
 खोल कर
अनपढ़ों  के
नगर मे रहे .
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तुमसे बिछड़े तो
किसी ख्वाव को पानी न मिला
एक मरुथल था ,
जहा  उम्र बिताई हमने .
------------------------------------उर्मिलेश

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