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बुधवार, 12 सितंबर 2012

दिनेश रघुवंशी----यकीं आता नहीं

यकीं आता नहीं दिल को, कहीं पर खो गये तुम भी
सफ़र में ज़िन्दगी भर शूल कितने बो गये तुम भी
किसी को भी यहाँ अपना समझना भूल है सच में
तुम्हैं अपना कहा जिस पल, पराये हो गये तुम भी 
------दिनेश रघुवंशी--------------

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