कोई दिन ऐसा कहाँ रहा शेष
जिसमे थे नहीं तुम विशेष
फिर भी झेला किया मै
हर उस अबहेलना को
जो देती रही
एक नयी सहानुभूति
लेकिन संवेदनाओं के
जग में निराशा
उसे हो जिसे कुछ पाना हो
मैने तो
पायी है जिंदगी
खुद को ही खोकर -------अनुराग चंदेरी
जिसमे थे नहीं तुम विशेष
फिर भी झेला किया मै
हर उस अबहेलना को
जो देती रही
एक नयी सहानुभूति
लेकिन संवेदनाओं के
जग में निराशा
उसे हो जिसे कुछ पाना हो
मैने तो
पायी है जिंदगी
खुद को ही खोकर -------अनुराग चंदेरी
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