उतारने को मन का बजन
बो कितना खोजा किया करते थे
सारी बाते पल पल की
बांटा करते थे ,
आज उनके जीवन में
बांटने आ गए हैं
कई लोग तो
क्यूँ याद करेंगे
पुराने तटों को
जहाँ प्रेम की लहरे
बो कितना खोजा किया करते थे
सारी बाते पल पल की
बांटा करते थे ,
आज उनके जीवन में
बांटने आ गए हैं
कई लोग तो
क्यूँ याद करेंगे
पुराने तटों को
जहाँ प्रेम की लहरे
उठती थी उफान से
और कर देती थीं पार
किनारों को
आज मन की सूखी नदिया
यादों की बजरी में भी
छानती है
उनकी मीठी बातों
के मोती ----------------------अनुराग चंदेरी
और कर देती थीं पार
किनारों को
आज मन की सूखी नदिया
यादों की बजरी में भी
छानती है
उनकी मीठी बातों
के मोती ----------------------अनुराग चंदेरी
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