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बुधवार, 12 सितंबर 2012

बजन

उतारने को मन का बजन 
बो कितना खोजा किया करते थे 
सारी बाते पल पल की
बांटा करते थे , 
आज उनके जीवन में 
बांटने आ गए हैं 
कई लोग तो 
क्यूँ याद करेंगे 
पुराने तटों को 
जहाँ प्रेम की लहरे 
उठती थी उफान से
और कर देती थीं पार
किनारों को
आज मन की सूखी नदिया
यादों की बजरी में भी
छानती है
उनकी मीठी बातों
के मोती ----------------------अनुराग चंदेरी

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