जिंदगी कितनी
गफलत में
फ़साये है
कभी लगता है
की जीता जाऊं
दोड़ता जाऊं
समय से आगे
और कभी लगता है
की चिता खुद की
मै ही सजाऊं ,
गफलत में
फ़साये है
कभी लगता है
की जीता जाऊं
दोड़ता जाऊं
समय से आगे
और कभी लगता है
की चिता खुद की
मै ही सजाऊं ,
सोच के अस्थिर
जंगल में
भ्रम की नदियाँ
ले चली हैं बहा कर मुझे
क्या पता कहाँ -----------अनुराग चंदेरी
जंगल में
भ्रम की नदियाँ
ले चली हैं बहा कर मुझे
क्या पता कहाँ -----------अनुराग चंदेरी
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