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बुधवार, 12 सितंबर 2012

आशाओं के दिए

आशाओं के दिए 
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सूने भावों 
के अंधियारे में
रिक्तता की नदी 
उफान पर है 
सारे सूरज चले गए हैं 
अब जुगनुओं के
साथ सजा है 
टिमटिमाने का संसार .
जो बुझाता है
जलाता है
आशाओं के दिए
सारी रात ---------अनुराग चंदेरी

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