अहसास के पर
उसके उगे नहीं है अब तक ,
बरना बो इतनी बेरुखी न रखता
कबका गले लगा लिया होता ------अनुराग चंदेरी
उसके उगे नहीं है अब तक ,
बरना बो इतनी बेरुखी न रखता
कबका गले लगा लिया होता ------अनुराग चंदेरी
-----------------------------------------------------------------
ब्रक्षों से बेहतर नहीं
तुम्हारा चुप होना ,
क्या बात है
चुप हो कर भी ,
कोई साजिश
रचते हो .---------------------------अनुराग चंदेरी
तुम्हारा चुप होना ,
क्या बात है
चुप हो कर भी ,
कोई साजिश
रचते हो .---------------------------अनुराग चंदेरी
----------------------------------------------------------
khoobsurat....
जवाब देंहटाएंसुन्दर भाव....
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना.
टाईपिंग त्रुटि है एक- वृक्षों कर लें..
सादर
अनु