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शुक्रवार, 4 मई 2012

नदी

दूरियों कि नदी तो 
बना ली 
तुमने , मेरा यकीन है 
मै चाहत कि नाव
बना लाऊंगा 
तुमको दिल मै बसाया है 
रग़ रग मे
ले आऊंगा 
तुम कितनी भी गहरी नींद मे 
सो जाना 
मै सपना बन के आ जाऊंगा ----अनुराग चंदेरी

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