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बुधवार, 12 सितंबर 2012

एक रेशा चमक का

खो कर सब 
मै बैठा 
उदासी से बतियाता 
रहा ,तभी देखा कि
एक रेशा चमक का 
आँखों मे छिपा अब भी 
कुछ कहना चाह रहा है 
मैने उसे भी 
अबसर दिया 
कि कहे अपनी बात 
बह बोला
उठो ,चलो
हाथ पर हाथ मत रखो
अभी लड़ना है बहुत
आगे बढ़ना है बहुत ------अनुराग चंदेरी

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